बुधवार, 4 जनवरी 2017

Today's Reality Test 

मन मे नही रखे बुरे भाव

बंधुओ,

                वो कहावत याद है ना, मुख मे राम बगल मे छुरी तकरीबन आज हर इंसान की यही स्थिति हो गयी है, हर इंसान के दो चेहरे होते है, हाथी के दांत जैसे खाने के अलग, दिखाने के अलग। जो किसी के सामने आने पर हम सम्मान, आदर दिखाते है, हकीकत मे जाते ही ख़ुशी मनाते है कि बला टल गयी।

               दरअसल हम इतने स्वार्थी हो गए हैं की अब हर रिश्तों मे स्वार्थ ढूंढने लगे है, अब रिश्तों मे क्या मिल रहा है ये देखा जाने लगा है, वो समय गया जब हम रिश्तों मै समर्पण किया करते थे ।

             दरअसल हमारे अंदर ही दो इंसान है, एक सकारात्मक और एक नकारात्मक । हमारे मन को यदि एक कुआं मान लिया जाए तो जो मन मे भरा होगा वही बाहर निकलेगा ।

            एक चालक बूढ़े आदमी ने एक लड़के से बात  करते हुए कहा , की "मेरे अंदर दो भेड़िये हैं , जो आपस में लड़ते रहते हैं " एक ईर्ष्या , द्वेष, जलन, शर्म  और झूठ से भरा हुआ है , और दूसरा प्यार , ख़ुशी , सच  और शांति से भरा हुआ है।

ये लड़ाई तुम्हारे अंदर भी और सभी मनुष्यों के अंदर ये भेड़िये लड़ते रहते हैं. थोड़ी देर के लिए लड़के ने सोचा, और फिर पुछा ? "कौन सा भेड़िया जीतेगा "? बुजुर्ग आदमी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, जिस भेड़िये को तुम बढ़ाओगे वही जीतेगा।


             अच्छाई  बुराई सब कुछ हमारे ही अंदर विद्यमान है , हम जिसको बढ़ावा देते हैं वही मुखर होता है। मतलब यदि मन के कुएं मे अमृत होगा तो बाहर अमृत ही निकलेगा और यदि जहर होगा तो जहर निकलेगा ।

             बंधुओ, अभिप्राय ये है कि जो आप अंदर से हो और जो बाहर दिखाते हो उसमे भेदभाव क्यों करते हो,एक फ़िल्म थी दाग उसका गीत है एक चेहरे पे कई चेहरे लगा लेते हैं लोग ।

            आपकी जिंदगी है, जैसे चाहे जीओ, पर एक बात का ध्यान रखिये की जो दिल मे हो वो जुबान पर लाओ, अच्छा या बूरा दोनों परिणाम आ सकते हैं, लेकिन आपको मन मे सुकून जरूर मिलेगा की हम जुबान और दिल से एक जैसे ही है ।


शुक्रिया उन सभी बंधुओ को, जिन्होंने मेरी पोस्ट को ध्यान से पढ़ा।

✍..महेन्द्र आल, देवासी युवा टीम

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