गुरुवार, 5 जनवरी 2017

Today's Reality Test 

जो चला गया उसे भूल जा (भाग - 1)

बंधुओ,

मृत्यु एक ऐसा अटल सत्य हैं, जो हर किसी के साथ आना हैं, फिर भी हम इससे भयभीत रहते हैं । कब, किस पल, कंहा, आ जाए ये सिर्फ ईश्वर ही जानता हैं। यदि हम मृत्यु को जीत ले तो शायद प्रकृति की सारी दिनचर्या गड़बड़ हो जायगी। 

हर पतझड़ के बाद सावन जरूर आता हैं, यदि एक जाता हैं तो एक जरूर आता हैं ये नियम अनवरत काल से चला आ रहा हैं । फिर जाने वाले का गम क्यों करते हैं हम ?

                      बंधुओ, ये सत्य हैं की जो हमारा आज था वो चला गया । पर उसका भी कंही ना कंही सृजन हुआ होगा। एक बीज पेड़ से गिरता हैं, फिर उग जाता हैं । फिर दोष किसे दे। मेरे एक मित्र के परिवार मै दुर्घटना हुई परिवार के कुछ सदस्यों की मौत हुई। परिवार के कुछ सदस्य भगवान को कोसने लगे। क्या उचित हैं ये सब ? यदि भगवान सबको ही जीवित रखे तो क्या उसकी सत्ता चल पायेगी ? विचार करे? हमारे लिए हमारा परिवार और परिवार के हर सदस्य सर्वोपरि हैं, हम उनसे प्यार करते हैं । जब कोई एक भी बिछुड़ता हैं तो दुःख होता हैं, लेकिन क्या उसका गम हम जिंदगी भर पालते रहे ,उचित नही होगा ।

हँस कर जीना यही दस्तूर है ज़िंदगी का, एक यही किस्सा मशहूर है ज़िंदगी का,
बीते हुए पल कभी लौटकर नहीं आते, बस यही एक कसूर है ज़िंदगी का ?

                    बंधुओ, एक छोटी सी कहानी से जिंदगी की हकीकत समझ आ जायगी की जो चला गया उसे भूल जाओ, वो जन्हा हैं उसे खुश रहने दो, हां अगर कुछ करना चाहते हो तो बार बार रोओ मत, उसके अधूरे सपने को पूरा करो। 

                    भूत के बीज जब वर्तमान में बोये जाते हैं तो उनके वृक्ष भविष्य को भी ढँक देते हैं. . इसीलिये, यदि वो बीज कड़वे फल के हों तो उन्हें बोने से भी बचना चाहिये और संजोने से भी. मतलब जो पुरानी यादे हैं उन्हें दिमाग से हटा दीजिये। नया बीज सामने हैं । ...... शेष कल के अंक में पढना ना भूले।             

शुक्रिया उन सभी बंधुओ को, जिन्होंने मेरी पोस्ट को ध्यान से पढ़ा।

✍..महेन्द्र आल, देवासी युवा टीम

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