बच्चो के लिए जरूरी हैं अच्छे संस्कार
बन्धुओं ये सन्देष पढने मे भले ही आपका ध्यान आकर्षित न कर पाये, मगर इस सन्देष पर गौर किया जाये तो बहुत कुछ समझने एवं परखने लायक है।अपने समाज में आज भी खुलकर बच्चों को आगे आने को मौका नहीं दिया जाता है, इसी कारण आज भी अपना समाज अन्य समाज से थोड़ा पिछड़ रहा है, इसलिए हमारा मानना है कि आप अपने बच्चों को इस माहौल से बाहर लाए एवं उनकों अपने अन्दर छीपी प्रतिभा को निखारने दें। खास बात यह है कि लड़का-लड़की में भेद न समझकर दोनों को एक जैसा माहौल दें।
बच्चो की परवरिश में माता-पिता की भूमिका उस किसान की तरह होती है जो बीज के फलने-फूलने के लिए सही माहौल तैयार करता है, उसकी खाद पानी की जरूरतों को पूरा करता है। पेरेंट्स यह तो चाहते हैं कि उनका लाडला-लाडली अच्छे इंसान बने, लेकिन यह भूल जाते हैं कि इसकी नींव उन्हें ही रखनी है अपने परवरिश के तारीके से। अगर आप भी अपने बच्चो में अच्छे संस्कार व मूल्य डालना चाहे हैं, तो उसे तनावमुक्त व सकारात्मक माहौल दें, लेकिन इस बात का भी ध्यान रखें कि उसे किसी बंधन में बंधने के बजाय अपने तरीके से आगे बढने दें। बच्चो को आत्मनिर्भर बनाये, ताकि बडा होकर वो अकेला ही दुनिया का सामना कर सकें, उसे आपका हाथ थामने की जरूरत ना पडे, लेकिन यह बातें कहने में जितनी आसान लगती हैं इन पर अमल करना उतना ही मुश्किल है, चलिए हम आपको बताते हैं किस तरह आप बच्चो की परवरिश के मुश्किल काम को आसान बना सकते हैं?
प्यार से समझाएं - बच्चो के नखारे दिखाने या किसी चीज के लिए जिद करने पर आमतौर पर माता-पिता डांटते-फटकारते हैं, लेकिन इसका बच्चो पर उल्टा ही असर होता है। आप जोर से चिल्लाते हैं, तो बच्चा भी तेज आवाज में रोने व चिखने चिल्लने लगता है। ऐसे में आपका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच जाता है, लेकिन इस स्थिति में गुस्से से काम बिगड सकता है। अतरू शांत दिमाग से बच्चों को समझाने की कोशिश की वो जो कर रहा है वो गलत है।
कहें ना - बच्चो से प्यार करने का मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि आप उसकी हर गैरजरूरी मांगें पूरी करें। यदि आप चाहते हैं कि आगे चलकर आपका बच्चा अनुशाशित बने तो अभी से उसकी गलत मांगों को मानना छोड दें।
बच्चो की खूबियों को पहचानें - हर बच्चा अपने आप में अलग और अनोखा होता है। हो सकता है, आपके पडोसी का बच्चा पढाई-लिखाई में अव्वल हो और आपका बच्चा खेलकूद में। ऐसे में कम नंबर लाने पर उसकी तुलना दूसरे बच्चो से करके उसका आत्मविश्वास कमजोर ना करें, बल्कि स्पोट्र्स में मैडल जीत कर लाने पर उसकी प्रशंसा करें और पढाई में भी ध्यान देने के लिए कहें।
मर्जी से लेने दें फैसला - माना बच्चो को सही-गलत का फर्क समझाना जरूरी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप उसे अपनी मर्जी से कोई फैसला ना लेने दें। ऐसा करके आप उसकी निर्णय की क्षमता को कमजोर कर रहे हैं। यदि आप चाहते हैं कि भविष्य में आपका बच्चा अपने फैसले खुद लेने में सक्षम बने, तो अभी से कुछ छोटे-मोटे फैसले उसे खुद लेने दें।
खुद में लाए बदलाव - यदि आप अपने बच्चो को अच्छे संस्कार देना चाहते हैं तो पहले अपनी बुरी आदतों को बदलें, क्योंकि बच्चा वही करता है जो अपने आसपास देखता है, यदि वो अपने माता-पिता को झगडते देखता है उसका व्यवहार भी झगडालु और नकारात्मक हो जाता हैं। इसलिए जरूरी है कि आप अपनी बुरी आदतों को त्याग दें।
सकारात्मक तरीके से बात करें - माता-पिता जो भी कहते हैं उसका बच्चो पर गहरा असर होता है। अतरू अपने बच्चों से कुछ भी कहते समय इस बात का खास ध्यान रखें कि आपकी बातों का उस पर सकारात्मक असर हो।
बन्धुओं में हम इस सन्देश के जरिये बस हम आपको इतना ही कहना चाहते है कि अपने समाज के भविष्य (बच्चों) को सक्षम बनाने के लिए पढाई के साथ-साथ अन्य गतिविधियों में भी भाग लेने के लिए प्रेरित करें और अगर आप सक्षम है तो अपने आस-पास के समाज बंधओं को भी अच्छी सलाह देकर अपने समाज का नवनिर्माण जरूर करें।
संकलनकर्ता - जेताराम खोभला 98673 25011
प्रकाषक - महेन्द्र आल 9610969896
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